Meet Ri Pati

तू मीत मेरा तू गीत मेरा

गोवत्स श्री राधाकृष्ण जी महाराज

 संकलन – डाॅ. दिलीप शर्मा, संदर्भ – तू ही माटी, तू ही कुम्हार

               यार- दोस्तों के संग मौज को कौन छोड़ सकता है। पर इस बात का ध्यान रखना कि तेरे मित्र कौन हों व कैसे हो? हर समय मौज-मस्ती के मूड में रहने वाले भी ना हो और हर समय केवल पुस्तकों में ही डूबे रहने वाले भी ना हों। दोस्त ऐसे हों जो पढ़ाई सुव्यवस्थित करते हों और समय मिलने पर मौज भी करते हो। स्कूल, कॉलेज, हॉस्टल में कई लोगों को ज्यादा दोस्त बनाने, सबको खुद से जोड़ने की धुन सी लग जाती है। सभी को समाधान देते, सम्भाल करते, उनकी पढ़ाई कहीं दूर छूट जाती है। कभी बर्थ डे पार्टी, कभी फ्रेन्डशिप डे, कभी कोई डे, कभी कुछ, कभी कुछ, साल भर ये क्रम चलता रहता है। कुछ दिन भी अच्छे से अपने अध्ययन पर ध्यान नहीं दे पाते ऐसे विद्यार्थी। तू अपना ध्यान रखना। मित्र भले थोड़े हों, पर अच्छे, व्यसन-कुसंग रहित हो। अपने उद्देश्य पर ध्यान देने वाले हों। व्यर्थ समय गंवाने वाले ना हों, मैंने किसी ग्रन्थ में पढ़ा था कि सूर्य के समीप आने वाले ग्रह की रफ्तार भी सूर्य के समान होने लगती है। दोस्त ऐसे हों जिनके संग से तुम्हारे अध्ययन की रफ्तार अच्छी बने।

               ऐसे मित्र बनाओ जो तुम्हें निराश ना होने दें, तुम थके हारे हो तो अपनी बार्तों से तुम्हें उत्साहित करके कार्य में लगावें, तुम्हें सदा अच्छी व सच्ची सलाह दें, तुम्हें तन और मन से कमजोर ना होने दें। तुम्हारी अच्छी बात का वे भी आदर करें, तुम भी सदा उनके अच्छे विचारों में उनके साथ रहो, मौज मस्ती वाले दोस्त लगते बहुत आकर्षक व अच्छे हैं पर उनकी संगति मनोरंजन व समय के दुरुपयोग के सिवाय और कुछ नहीं देती। जबकि, अच्छे मित्र सदा उत्साह देते हैं, अब तुम देखो तुम्हारे पास क्या है, टाइम पास दोस्ती या तुम्हारे समय को सफल करने वाली दोस्ती। सकारात्मक सोच वाले व उत्साही लोगों से दोस्ती करो व नकारात्मक सोच वाले व आलसी लोगों से दूर रहो।