Meet Ri Pati

जीवन मंत्र

गोवत्स श्री राधाकृष्ण जी महाराज

 संकलन – डाॅ. दिलीप शर्मा, संदर्भ – तू ही माटी, तू ही कुम्हार

                   प्यारे! विद्यार्थी जीवन में जहाँ तक बने सादगी और सरलता से रहना। ज्यादा चमक-दमक, शानो शौकत दिखाने में अपनी ऊर्जा मत खर्च करना। हर दो-तीन महीने में नये कपड़े खरीदना, बार-बार अपनी हेयर स्टाइल चेन्ज करना, अलग-अलग ढंग से दाढ़ी-मूंछ सेट करना ये सब व्यर्थ के काम हैं, इनमें बहुत समय व्यर्थ जाता है। विद्यार्थी जितना सादगी सरलता में अच्छा लगता है उतना तड़क-भड़क फैशनेबल स्थिति में नहीं। यार! पढ़ाई पर ध्यान दो। सजने-सँवरने में समय बेकार मत करो। मैंने पढ़ा था कि महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टीन ने अपने बढ़ते बालों की तरफ ध्यान ही नहीं दिया। उनका पहनावा एक दम सादा था, पर आज के विद्यार्थी का बहुत सा समय अपने बालों व पहनावे पर खर्च होता है। कई विद्यार्थी मुझसे मिलने आते हैं तो अपने विचित्र पहनावे के कारण अच्छे से बैठ भी नहीं पाते। बेचारे शर्म के मारे खड़े रहते हैं। जिस वेश में हम सुविधाजनक ढंग से ना रह पाएं वो वेश हमारा हो ही नहीं सकता। वह बनावटीपन है, जो हमें लाभ नहीं देता। मैं ये नहीं कहता कि तुम धोती-कुर्ता पहनना शुरू कर दो, पर जहाँ तक हो सके सीधा-सादा, सरल पहनावा रखो। ध्यान रखो। लाभ अच्छी पढ़ाई से होगा, भड़कीले पहनावे से नहीं। महंगे मोबाइल, महंगी घड़ियां, महंगे जूते, महंगी गाड़ी, महंगे परफ्यूम आदि विद्यार्थी जीवन में अवरोध हैं। बस तुम्हारा कार्य हो जाए, आवश्यकता की पूर्ति हो जाए ऐसे ही साधन तुमको चुनने चाहिए। महंगी वस्तुएं अहंकार पैदा करती हैं और हमारा ध्यान भी हरदम इन पर लगा रहता है। हर सप्ताह या अक्सर फिल्म देखने का शौक ना रखो। ना दोस्तों के संग थियेटर में जाओ। थियेटर के वाईब्रेशन मस्तिष्क के लिए हितकर नहीं।

 

जहाँ तक हो सके घर पर बने भोजन अथवा उचित देख-रेख में बने भोजन को ही महत्व दो। मित्रों के साथ बाजारू होटल, रेस्टोरेन्ट के आहार को ना खाओ। जो आहार और जिसकी सामग्री शरीर के साथ मन के लिए अहितकर हो उनके लिए मना करना सीखो। केवल दोस्तों के बीच बने रहने के लिए कुछ भी स्वीकार ना करो। तुम्हारा जन्म दिन आए तब मन्दिर जाओ। माथे पर तिलक लगाओ। अपनी बचत अथवा जेब खर्च के पैसों से कुछ सामग्री खरीदकर गरीबों या बच्चों में बाँटो। समीप कोई गौशाला हो तो वहाँ जाकर गायों को चारा खिलाओ। खुशी के मौकों पर बाँटना अपनी संस्कृति है, काटना नहीं। इसलिए केक काट कर जन्मदिन ना मनाओ, ये अच्छा नहीं। केक ना तो कोई विशेष व्यंजन है, ना इसको काटने से कोई विशेष लाभ होता है। ये सिर्फ एक नकल है जो अकल के अंधे लोग करते हैं। इसका हमारे मन से कोई लेना-देना नहीं है।

                ज्यादा से ज्यादा आशीर्वाद मिले इस प्रकार का जन्म दिन मनाओ। सिर्फ मौज- मस्ती, खाने-पीने, घूमने-फिरने में ही जन्म दिन ना सिमट जाए। घर में हो तो प्रतिदिन बड़ों को प्रणाम करना ना भूलो और यदि बाहर पढ़ रहे हो तो रोज फोन करके अपने माता-पिता को प्रणाम निवेदन करो। रविवार का अच्छा उपयोग करो। उस दिन पढ़ाई भले ही थोड़ी कम करो पर अन्य कार्यों को उस दिन विशेष समय दो। आस-पास होने वाली किसी सामाजिक, धार्मिक या सेवा की गतिविधि में सम्मिलित होओ, खेलो, अच्छी पुस्तक पढ़ो, दोस्तों के साथ बातें करो। अच्छा मनोरजंन करो। सप्ताह के कुछ कार्य बाकी हो तो उसे कर लो। रविवार का दिन सिर्फ आलस्य, नींद, मोबाइल, सिनेमा की भेंट ना चढ़ जाए। इस दिन का उपयोग कुछ रचनात्मक कार्यों में लो। अपने गुरुजनों के प्रति आदर भाव रखना। स्कूल, कॉलेज की रचनात्मक गतिविधियों में जरूर सहभागी बनो। उससे कुछ सीखने व कुछ नया करने का हुनर भी आयेगा। स्कूल-कॉलेज में दादागिरी, बेकार की हुड़दंगबाजी करने वाले विद्यार्थियों के संग ना रहो, अपितु हमेशा कुछ नया और अच्छा करने वाले अच्छे स्वभाव के विद्यार्थियों की संगति करो।